Tuesday, January 20, 2009



याद है वो पल जब तुमने कुछ कहा था
उस दिन मैंने भी कुछ सुना था
कुछ बाते कही थी
कुछ सुनी थी
कुछ तो याद है, कुछ खो गया
कुछ पुरानी कुछ नई
बातो में चेहरा दिखा

उनमे मै खो गया
कुछ याद आया
कुछ भूल गया
याद नही क्या भुला था
कुछ तुमने कहा था

8 comments:

Unknown said...

हार्दिक स्वागत है आपका, खूब लिखें, लगातार लिखें… सिर्फ़ एक अर्ज है कि कृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें ताकि टिप्पणी में कोई बाधा न आये… धन्यवाद।

अभिषेक मिश्र said...

शुरुआत अच्छी है. स्वागत ब्लॉग परिवार और मेरे ब्लॉग पर भी.

प्रताप नारायण सिंह (Pratap Narayan Singh) said...

कुछ पुरानी कुछ नई
बातो में चेहरा दिखा

बहुत सुंदर

बवाल said...

याददाश्त तेज़ करिये और लिखते रहिए।

बवाल said...

सुन्दर रचना है लिखते रहें। वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा लें ताकि टिप्पणी करने में लोगों को आसानी रहे। जितनी भी टिप्पणियाँ आएँ, उन सबकी तस्वीरों पर क्लिक करके उन ब्ला॓गरों के प्रोफ़ाइल में जावें और उनके वेब पेज में जाकर उन्हें पढ़ने के बाद, पोस्ट अ कमेण्ट या टिप्पणी करें पर डबल क्लिक करके टिप्पणी करें। नेट से बारहा फ़ोण्ट डाउनलोड करके उसे हिन्दी में सक्रिय करके टिप्पणियाँ करें। नए ब्लागर्स की सुविधा के लिए :-
www.lal-n-bavaal.blogspot.com के सौजन्य से। धन्यवाद।

Prakash Badal said...

badhiyaa kavitaa swaagat hai bhaae

Publisher said...

बहुत अच्छा! सुंदर लेखन के साथ चिट्ठों की दुनिया में स्वागत है। चिट्ठाजगत से जुडऩे के बाद मैंने खुद को हमेशा खुद को जिज्ञासु पाया। चिट्ठा के उन दोस्तों से मिलने की तलब, जो अपने लेखन से रू-ब-रू होने का मौका दे रहे है का एहसास हुआ। आप भी इस विशाल सागर शब्दों के खूब गोते लगाएं। मिलते रहेंगे। शुभकामनाएं।

mark rai said...

thanks of everybody.