लमुहा एक स्थान जिससे मुझे काफी लगाव है .मेरे ननिहाल में एक तालाब है जिसे सभी लमुहा के नाम से जानते है .बचपन में यही पर छठ माता की घाट बनती थी और सभी बच्चे वहां की साफ़ सफाई करते थे .छठ पर्व की रात को हम मिटटी की बनी ढकनी में दिया रख कर लमुहा में तैराते थे उसको धान की पुआल पर रख कर लमुहा के बिच में करने का प्रयास करते थे . सच बहुत मज़ा आता था.मै एक अच्छा तैराक भी था .कई बार मैंने लामुहा को आर पार भी किया था .सब बच्चे मेरा लोहा मानते थे .अभी कुछ दिन पहले उस स्थान को देख कर वो दिन याद आ गए .लमुहा एक ऐसी जगह है जहाँ से मेरे बचपन की यादें जुडी है .
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