Thursday, May 7, 2009

...अभी तुमने मुझे जाना ही नही ।

इरादा ........ !
इरादा तो इतना है की कब्र से भी निकल आऊं ।
पर केवल उजाले के लिए । यही एक चीज मुझे कब्र से भी बाहर निकाल सकती है ।
मजाक नही कर रहा ....अभी तुमने मुझे जाना ही नही ।

3 comments:

अभिषेक मिश्र said...

Kya khub kaha hai!

जयंत - समर शेष said...

Sach hai...

Abhi tune jaanaa nahin,
abhi pahachaanaa nahin...


~Jayant

अमिताभ श्रीवास्तव said...

gar irada pakka ho to kuchh bhi kiya jaa sakta he//aasmaan ko kadmo me jhukaya jaa sakta he//
IRADA.....ho to////