Friday, September 4, 2009

जीवन का अर्थ .....

धन ही सबकुछ नही ....जीवन में और भी बहुत कुछ है कमाने के लिए ....धन तो एक अदना सा हिस्सा है । धन कुछ हो सकता है ,पर सबकुछ तो कभी भी नही । केवल पैसा ही जीवन को खुशियों से नही भर सकता ..खुशियाँ कमाने के और भी बहुत सारे रास्ते है । धन आनंद का स्रोत नही ...अगर ऐसा होता तो हर धनवान के घर लक्ष्मी के साथ साथ सरस्वती भी निवास करती और उसके जीवन में कोई समस्या भी नही होती ।
इतिहास उनको याद करता है ,जो दूसरो के लिए कुछ करते हुए मर गए ....उन्ही की स्मृति दिमाग में कौतुहल पैदा करती है ,न की उनकी जिन्होंने अपना जीवन पैसे कमाने में और दूसरो को चूसने में लगा दिया । आज पैसे का बोलबाला है ..सही भी है , पर एक हद तक ....मूर्खों की तरह केवल पैसे लूटने के चक्कर में हम जीवन का मूल उद्देश्य भूल जाते है ....जीवन के अंत में कुछ हासिल नही कर पाते ।
कुछ लोग जन्म लेते है ..रूपया कमाते है और परलोक की यात्रा पर निकल जाते है ..ऐसे लोगों को इतिहास याद नही करता .....इतिहास ऐसे लोगों को याद करता है जिन्होंने इस जगत को कुछ दिया हो । हम उन महानुभावों को याद करते है ,जिन्होंने स्वार्थ की उपासना नही की .............. ।

2 comments:

kshama said...

सही कहा आपने धन ही जीवन में सब कुछ नही,धन से आप भौतिक सुविधाएँ तो खरीद सकते हैं पर आत्मिक सुख नही . पर खुशियों के मानक सब के लिए अलग-अलग हैं .कोई खुद के लिए जीता है और कोई दूसरो के लिए. फर्क बस सोच का है .
बहुत दिनों बाद आपने लिखा और अच्छा लिखा है.अपने लेखन से ऐसे ही नयी सोच और प्रेरणा देते रहें.

Anonymous said...

aap ne jo baat kahi hai. ye baat wahi log kah sakte hai jinke pas unki jarurat ke liye dhan hai.shayed aap ya aap ke bachhe kabhi khali pet nahi soye hai.aaj sab kuch paisa hai.
yakeen nahi aaraha hai to kisi garib ke ghar jaeye.
lekin aaj ke netao ki tarah nahi.
ajit sharma.