Sunday, March 8, 2009

आखों में तेरी ही याद.....

खिलती धूप हो ,
या चांदनी रात
आखों में तेरी ही याद है
ये जिंदगी बस तेरी
हवाओं से पूछों
चारो तरफ़ तेरी ही खुसबू
फूलों से पूछों
जुल्फों को सवारूँ
पलकों से निहारूं
कितना हसीं ख्याल है
आंखों में तेरी ही याद है

2 comments:

Anonymous said...

kisi ke liye chahat jhalak rahi hai

mark rai said...

wo koi ajnabi hai reecha jee ....andheren me hi abhi tir maar raha hoon.