तुझे समझ ही ना पाया ,
मन क्यों उदास है ।
चला एक कदम ,
फ़िर पीछे मुद गया ।
अकेले में भी तुम ,
मुझे याद आते रहे ।
अब यादों को क्यों भुला दिया ,
समझ ही न पाया ।
मै लाचार जीवन जीता रहा ,
तेरी यादों को ,
अपना बना ही नही पाया
तुझे समझ ही ना पाया
न कोशिश कभी की समझने की ,
इसमे तेरा कोई दोष नही
बस तेरे ही ख्यालों में
हरदम खोया रहा ।
तुझे समझ ही ना पाया
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