एक अजब खामोश धड़कन
शुन्य में भी आती जीसकी आवाज
खोजता हूँ हर तरफ़
दर्द का पता नही
हर रोज सवाल करता हूँ
समाधान पाता नही
एक अजब खामोश धड़कन
वीचलीतहो रहा मन
मन वीराने में घुलकर खो गया
लगा राह में कही पर गुम हो गया
बेजान आखें देखती रही
वह आखों से ओझल हो गया
एक सुनसान घर
देखता रहा एकटक
अंदर से आती आवाज
वो अजीब अँधेरी रात
मै गया सहम
एक अजब खामोश धड़कन
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