Saturday, February 28, 2009

फ़िर वो मुखडा दुबारा नजर आया ,जिसे मै भुलाने लगा था

जिंदगी में दुबारा का भी अपना महत्व है । पाँच साल बाद फ़िर ,क्या आँखे थी ?...... एकटक निहारती । अचानक रात में दिखाई दी । मेरी तो साँसे तेज हो गई ..... पता नही ऐसा क्यों हुआ ? नही जानता । फ़िर वो मुखडा दुबारा नजर आया ,जिसे मै भुलाने लगा था । इस बार तस्वीर कुछ साफ़ थी ..... दोनों तरफ़ कुछ बात थी ।
अभी तक चेहरा जेहन में है । दिल बेचैन सा है ... कुछ सूझ नही रहा । पता नही ऐसा क्यों है । सोचता हूँ , आकर्षण किसी एक से बंधकर नही रहता । उसमे चंचलता कूट कूट कर भरी हुई है । पर यह चंचलता ठीक नही है । अब जाकर जाना ।

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