Monday, February 9, 2009

बादल देख
मन गाता रहा
दीपक देख
रोज जलता रहा
चाँद देख
गुनगुनाता रहा
ज्वाला देख
मन में धधकता रहा
पंछी देख
रोज चलता रहा
उजाला देख
आस बाँधता रहा
आकाश देख
सोचता रहा
क्या यही जीवन धारा है

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